आखिर iPhone के लिए इतने दीवाने क्यूं हैं लोग?
हाल ही में एप्पल कंपनी ने iPhone 7 लॉन्च किया है। इसके प्रति लोगों में कितना क्रेज़ है वो किसी सो भी छिपा नहीं है। लोग मानो इसके लिए दीवाने से हैं। कितनी ही बार ऐसी ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं कि फ़लाने बंदे ने iPhone ख़रीदने के लिए फ़लानी चीज़ बेच दी। कोई इसके लिए अपनी किडनी बेचने को तैयार है तो किसी ने अपने ही बच्चे की बोली लगा डाली। एक फ़ोन के लिए ऐसा पागलपन! आखिर फ़ोन ही तो है। अब ऐसा तो है नहीं कि आप अपने iPhone से कोई भी कॉल करेंगे तो वो शाहरुख खान को मिल जाएगी। वो तो उसी आदमी को मिलोगी न जिसको किसी दूसरे फ़ोन से मिलती। तो फिर इतना बवाल क्यूं।
बात दरअसल किसी फ़ोन की नहीं है, बात है लोगों की सोच की, जो अब शायद किसी ब्रांड की मोहताज होकर रह गई है। ये बात सही है कि एप्पल के फ़ोन शानदार होते हैं। जो बाकी बहुत से मोबाइल फ़ोनों से कहीं ज़्यादा अच्छे हैं। iPhone की क्वालिटी और फ़ीचर्स बहुत अच्छे होते हैं लेकिन ऐसा तो नहीं कि बाकी सारे ही फ़ोन बेकार हैं। और बहुत से एंड्रायड फ़ोन भी काफ़ी शानदार फ़ीचर्स के साथ मार्किट में उपलब्ध हैं।
आजकल लोग मोबाइल को अपने स्टेटस से जोड़कर देखते हैं। जिन लोगों के पास iPhone होता है वो अकसर एंड्रायड फ़ोन वालों में और खुद में एक अंतर समझते हैं। फ़ोन हमारी सुविधा के लिए है न कि हमारा स्टेटस तय करने के लिए। कोई व्यक्ति कौन-सा फ़ोन लेता है, ये उसका अपना फ़ैसला है। वो चाहे वो किसी भी कंपनी का मोबाइल ले। लेकिन iPhone के लिए लोगों में एक अलग ही तरह का क्रेज़ देखने को मिलता है।
iPhone अच्छे होते हैं लेकिन उनकी कीमत भी तो उतनी ही मोटी होती है। इसे खरीदने के लिए अच्छी खासी जेब हल्की करनी पड़ती है। अगर आपका बजट सेट है तो आपको बेशक खरीदें लेकिन अगर इसे खरीदने के आपको किडनी बेचनी पड़े तो फ़िर जनाब...आप खुद ही समझदार हैं।
यहां हम किसी फ़ोन की बुराई या तारीफ़ नहीं कर रहे। हम बस बात कर रहे हैं लोगों की सोच की। आप कोई भी मोबाइल लीजिए, महंगा या सस्ता, लेकिन अपने बजट के अनुसार। क्योंकि मोबाइल आपका स्टेटस तय नहीं करता।
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