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इस जानवर का खून होता है नीला, 10 लाख में बिकता है एक लीटर

उत्तरी अमेरिका के समंदर में पाया जाने वाले हॉर्सशू केकड़े का खून चिकित्सा विज्ञान के लिए किसी अमृत से कम नहीं है। इसका खून अन्य जीवों की तरह लाल रंग का नहीं बल्कि नीले रंग का होता है। लेकिन, यही नीले रंग का खून इस जीव के लिए उसकी जान का दुश्मन बन गया है। इसकी इसी खूबी की वजह से उसकी जान ली जा रही है।
इस जीव की बनावट घोड़े की नाल जैसी होती है और इसी वजह से इसका नाम हॉर्सशू क्रैब रखा गया है। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम Limulus Polyphemus है। ऐसा माना जाता है कि ये प्रजाति 45 करोड़ साल से जिंदा है। करोड़ों सालों में भी इनमें कोई खास बदलाव नहीं देखने को मिले हैं। चिकित्सा विज्ञान में इस केकड़े का नीला खून इसकी एंटी बैक्टीरियल तत्व मिलने के कारण इस्तेमाल किया जाता है।
इस वजह से है खून का रंग है नीला -
हॉर्सशू केकड़े का खून नीला होने का कारण है, इसके खून में कॉपर बेस्ड हीमोस्याइनिन (Hemocyanin) का होना, जो ऑक्सीजन को शरीर के सारे हिस्सों में ले जाता है। वहीं लाल खून वाले जीवों के शरीर में हीमोग्लोबिन के साथ आयरन यह काम करता है। इस वजह से खून लाल होता है।
10 लाख रुपए प्रति लीटर है नीले खून की कीमत -

हॉर्सशू केकड़े के नीले खून का इस्तेमाल शरीर के अंदर इंजेक्ट कर दी जाने वाली दवाओं में खतरनाक बैक्टीरिया की पहचान के लिए होता है। खतरनाक बैक्टीरिया के बारे में ये सबसे सटीक जानकारी देता है। इससे इंसानों को दी जाने वाली दवाओं के खतरों और दुष्प्रभाव के बारे में भी पता चलता है। आपको जानकर हैरानी होगी इसकी इन्हीं खासियत की वजह से इसके खून की कीमत करीब 10 लाख रु प्रति लीटर है। हर साल ऐसे 5 लाख से भी ज्यादा केकड़ों का खून निकाला जाता है।
ऐसे निकाला जाता है खून -


अलग-अलग जगहों से पकड़कर इन केकड़ों को लैब लाया जाता है। जहां अच्छी तरह सफाई के बाद इन जिंदा केकड़ों को एक स्टैंड पर फिट कर दिया जाता है। इसके बाद इसके मुंह के हिस्से में एक लंबी सिरिंज चुभोकर एक बॉटल में लगा दी जाती है। इस प्रॉसेस में धीरे-धीरे खून बॉटल में आता रहता है।
ज्यादा खून निकालने की वजह से हो जाती है मौत -
कुछ केकड़े इस प्रॉसेस में जिंदा बच जाते हैं तो उन्हें वापस पानी में छोड़ दिया जाता है। हालांकि, ज्यादा खून निकालने की वजह से ज्यादातर की मौत हो जाती है। उत्तरी अमेरिका में इन केकड़ों की संख्या में जबरदस्त कमी देखने को मिल रही है। इसका कारण नीले रंग के खून के लिए इनका अत्यधिक इस्तेमाल होना है।

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