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जानिए कौन थे वो 17 वीर जिन्होंने भारत माँ के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए




आज फिर भारत माँ के 17 जवानों ने इस देश के लिए इस मातृभूमी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। मैंने देखी है, सेना की भर्ती, हजारों लोग आते हैं मगर चुनिन्दा लोग चुने जाते हैं। जो चुने नहीं जाते वह दुगनी उमंग से मेहनत में लग जाते हैं, और जो चुने जाते हैं वे तो आसमन से ऊँचे हो जाते हैं। दुनिया भर में घुमलो कहीं भी आपको ऐसा जज़्बा नहीं मिलेगा। एक जज़्बा देश पर मर मिटने का, एक जज़्बा इस मिट्टी के लिए कुछ करने का, एक जज़्बा तिरंगे में सज कर आने का, एक जज़्बा इस मिट्टी में मिलजाने का सच में कमाल का है यह जज़्बा

दुनिया हैरान होती है आखिर कहाँ से आता है ऐसा जज़्बा कहाँ से सीखते हैं यह बेख़ौफ़ जीने की अनोखी कला शायद इसका जवाब शहीद अशफाक़उल्ला खां सहाब का यह शेर ज़्यादा बेहतर दे पाएँ, वे कहते हैं -


"मौत एक बार जब आनी है तो डरना क्या है!
हम इसे खेल ही समझा किये मरना क्या है?
वतन हमारा रहे शादाब और आबाद,
हमारा क्या है अगर हम रहे, रहे न रहे.."

आइये जानते हैं आखिर कौन थे यह 17 वीर।

1. शहीद हवलदार रवि पाल





रवि के परिवार ही नहीं पूरे गांव को देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले रवि के लिए गर्व है। रवि के भाई ने पीएम मोदी से अपील की है कि वो हमले की साजिश रचने वालों को कड़ा सबक सिखाएं।

2. शहीद सूबेदार करनैल सिंह



अभी कुछ दिनों पहले ही तो शहीद सूबेदार ने घर वालों से बात की थी और जल्दी घर आने का वादा किया था मगर वह ऐसे आएँगे किसी को खबर नहीं थी।


3. शहीद सिपाही राकेश सिंह



शहीद सिपाही राकेश सिंह कैमूर के बदला गांव के थे। जब उनकी शहादत की खबर वहां पहुंची तो लोग स्तब्ध रह गये। शहीद के घर आसपास के गांव के लोग भी पहुंचे और सांत्वना दी।।

4. शहीद सिपाही जावरा मुंडा




शहीद जबरा मुंडा के घर पर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इनके परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटियाँ भी हैं। मेराल व आस-पास के गांवों के लोग शोकाकुल हैं।

5. शहीद सिपाही यूआइक जानेराव




उईके की अभी शादी नहीं हुई थी लेकिन मां-बाप के बुढ़ापे की वह उम्मीद था। अपने पिता की तरह देश के लिए मरने की कसम उसने बचपन में ही खा ली थी। उसके पिता जानराव भी सेना में थे और देश की सेवा की थी। पूरे गांव के लोग इस हालात में उनके साथ खड़े हैं।

6. शहीद हवलदार एनएस रावत




राजस्थान के निम्ब सिंह रावत भी शहीदों की सूचि में हैं। ये अपने पीछे पत्नी रोडी देवी के अलावा चार बेटियाँ और एक बेटा भी है। इनकी पत्नी और बेटियों- पायल, दीपा, लता व आशा का रोते-रोते हाल बुरा है। सबसे छोटा बेटा चंदन है, जो दूसरी का छात्र है। शहीद का गांव राजवा राजसमन्द जिले की बिलियावास पंचायत के तहत है।

7. शहीद सिपाही नाइमन कुजूर




8. शहीद सिपाही गणेश शंकर



9. शहीद नायक एसके विद्यार्थी



विद्यार्थी के परिवार में उनकी माँ के अलावा चार बच्चे और पत्नी हैं। करीब 16 साल पहले उनकी शादी हुई थी, दुर्गा पूजा में आने के लिये उनकी बच्चों से बात हुयी थी। जम्मू के उरी में शहीद हुए जवान गया के परैया थाना के बोकनारी गांव के रहने वाले थे।

10. शहीद सिपाही बिश्‍वजीत



शहीद सिपाही बिश्‍वजीत घोराई पश्चिम बंगाल के गंगा सागर से दक्षिण 24 परगना से थे, 20 साल के गोराई के पिता दैनिक मजदूरी कर के अपना घर चलाते रहे हैं। विश्वजीत की यह पहली ही पोस्टिंग थी, उसके बाद अब मजदूरी करने वाले पिता ही एक मात्र कमाने वाले शख्स उसके परिवार में बचे हैं।

11. शहीद लांस नायक जी शंकर



सातारा के माण तहसील के जाशी गाव के रहनेवाले शहीद लान्सनायक चंद्रकांत शंकर गलांडे की उम्र अभी 27 साल थी। उनकी पत्नी के अलावा घर में दो बच्चे भी हैं। बच्चों की उम्र काफी छोटी है और उनके सामने एक बड़ी मुसीबत है, गांव के लोग भी शहीद को सलाम करने में लगे हैं।

12. शहीद सिपाही जी दलाई



13. शहीद लांस नायक आरके यादव



14. शहीद सिपाही हरिंदर यादव



पिछली होली को गांव के एक घर में आग लगी थी हरिंदर ने बिना कोई परवाह किये उसमें घुस कर 8 साल के बच्चे को निकाला था और उसकी जान बचाई थी। शहीद की चोट पूरे गांव को लगी है।

15. शहीद सिपाही टीएस सोमनाथ




मातम वाली इस खबर ने न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि पूरे इलाके को गमगीन कर दिया। सभी ने धैर्य खो दिया और कातिलों को कोसते रहे। दो बहनों और एक भाई के अलावा पूरा घर बेसुध पड़ा हुआ था। गांव का बच्चा-बच्चा तक समझ गया था कि आखिर हुआ क्या है।

16. शहीद हवलदार अशोक कुमार सिंह





बिहार के आरा के रहने वाले अशोक कुमार सिंह के घर का हाल भी कुछ ऐसा ही था, हवलदार अशोक सिंह के दो बच्चे हैं। उनमें से एक बिहार रेजीमेंट में ही देश की सेवा में लगा है जबकि दूसरा अभी पढ़ाई कर रहा है। बाप के शहीद होने के बाद भी बेटे के जज़्बे में कोई कमी नहीं है, वह अभी भी दुश्मनों के दांत खट्टे कर देने के लिए काफी है।

17. शहीद सिपाही राजेश कुमार सिंह


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