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गंगा नदी में 70 साल के बाद दिखा दुर्लभ प्रजाति का सांप

जैव विविधता के संकट का सामना कर रही गंगा के लिए सुकून देने वाली खबर है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने गंगा में दुर्लभ प्रजाति का सांप खोजा है। साइबोल्ड स्मूद सील्ड वाटर स्नेक नाम का ये सांप 70 साल बाद गंगा में दिखा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा की जैव विविधता में हो रहे परिवर्तन को लेकर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया एक सर्वे कर रहा है। 14 से 25 अप्रैल तक बिजनौर से कानपुर तक इंस्टीट्यूट की एक टीम एक विस्तृत सर्वे कर चुकी है।


जैव विविधता के लिए राहत
हुसैन ने बताया कि ये सांप गंगा की जैव विविधता के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके मिलने से इतना तो तय है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बावजूद गंगा की बिगड़ती जैव विविधता को फिर से स्थापित किया जा सकता है। देवप्रयाग से जल्द ही बिजनौर तक अगला सर्वे किया जाएगा। सर्वे टीम में रिसर्चर आफताब आलम उस्मानी, नरेंद्र मोहन,गौरा चंद्र दास और बिदुपन बरुआ शामिल थे। टीम ने लगातार 12 दिन ये सर्वे किया।
बिजनौर में मिला यह सांप
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के इंचार्ज और इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक एसए हुसैन ने बताया कि सर्वे के दौरान यूपी के बिजनौर जनपद के इंद्राघर के पास साइबोल्ड स्मूद सील्ड वाटर स्नेक टीम को मिला। जो कि करीब 70 साल पहले गंगा में आखिरी बार देखा गया था। करीब 65 सेंटीमीटर लंबे इस सांप का मिलना काफी उत्साहजनक है।
ऊदबिलाव नहीं मिला
हुसैन ने बताया कि 570 किलोमीटर के सर्वे में स्मूद कोटेड ऑटर (ऊदबिलाव) की भी खोज की गई। लेकिन कई सालों से गंगा में विलुप्त हो चुकी ये प्रजाति इस सर्वे में भी नहीं मिली। इसके अलावा गंगा के आसपास टापू में रहने वाली पक्षियों की कुछ प्रजातियां भी इस सर्वे में पायी गई हैं। अभी कानपुर से सुंदरवन तक भी सर्वे किया जाना है। जिसमें डाल्फिन, घड़ियाल, ऊदबिलाव, मगरमच्छ, सांप आदि की गंगा में उपस्थिति का पता लगाया जाएगा।

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