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अगर किसी देश ने नही माना अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को तो ये हैं इसके अधिकार, कर सकता है…

ICJ यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, जिसे आप हिंदी में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय कहते हैंl इस कोर्ट की जरूरत तब पड़ती है जब दो देशों के बीच का कोई ऐसा मुद्दा जिससे दोनों में टकराव की स्थिति बन रही हो और वो इस कोर्ट के जरिये निदान चाहते होंl कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है और इस मामले में भारत ने ICJ में अपील की हैl हालांकि ICJ ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी हैl


आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख न्यायिक शाखा है, जिसका गठन वर्ष 1945 में किया गया थाl अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय नीदरलैंड्स के हेग में है, जिसका हर 3 साल में अध्यक्ष का चुनाव होता हैl

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुल 15 जज होते हैं, जिनका कार्यकाल सामान्य तौर पर 9 साल के लिए होता हैl वैसे अगर इन 15 जजों में से किसी ने भी बीच में ही इस्तीफा दे दिया तो उसके बचे हुए कार्यकाल के लिए नए जज का चुनाव होता हैl आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में एक ही देश के 2 जज नहीं हो सकते हैं, इतना ही नही 15 जजों में सुरक्षा परिषद के 5 देशों के जज हमेशा होते हैंl

15 जजों में इस वक्त अध्यक्ष रोनी अब्राहम फ्रांस से हैं, ब्राज़ील, जापान, स्लोवाकिया, सोमालिया, मोरक्को, ब्रिटेन के जज हैंl इसके अलावा अमेरिका,  इटली,  यूगांडा, चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जमैका से भी इस वक्त वर्ल्ड कोर्ट में एक एक जज हैl

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