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भारत-पाक के बीच जंग-जंग चिल्लाने वालों, पहले सच्चाई देख लो

आजकल सोशल मीडिया पर एक बात हर जगह देखने को मिल रही है कि भारत पाकिस्तान से जंग करे। भारत एक बार ही परमाणु फेंक कर पाकिस्तान का नामोंनिशान मिटा दे। लेकिन जनाब युद्ध कहने और करने में फर्क है। क्या फर्क है आइए जानते हैं।


हाल के दिनों में सीरिया के स्कूली बच्चों की तसवीरें आई है उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। अमेरिका हो या रूस या फिर आतंकी, सभी अपने स्वार्थ के लिए सीरिया के स्कूली बच्चों का खून बहाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।
एक दूसरे को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों में सीरिया के स्कूली बच्चों का खून बहाया जा रहा हैं। सीरिया के स्कूली बच्चों की तसवीरें बाहर आ रही है वे कह रही हैं कि अब बस भी करों।
इस फोटोग्राफ को जिसने भी देखा वह कुछ पल के लिए मौन रह गया. इसमें दिखाया गया है कि एक बच्चे की बाजू कोहनी के उपर तक कटी हुई है, लेकिन फिर भी उसने धूल से भरे स्कूली बैग की पट्टी को नहीं छोड़ा है।

ब्रिटेन सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद को पद से हटते देखना चाहता है. लेकिन सवाल है कि इन बच्चों की आवाज सुनने वाला भी कोई है।



बमों से घायल इन स्कूली बच्चों के चेहरे देखने के बाद लोगों के सामने उनके बच्चों के चेहरे घूमने लगते हैं।


इन बच्चों की नजरे अभी आसमान की ओर गड़ी है न जाने कब रूस या सीरिया के युद्धक विमानों स्कूल परिसर बम गिराकर चले जाए।


इन तस्वीरों में एक पिता नहीं मानवता रो रही है। बताया जाता है कि दुनिया के किसी युद्ध में शायद ही पहले कभी ऐसी दर्दनाक तस्वीरे सामने आई हो।
सीरिया में स्कूली बच्चों के चेहरे पर खौफ ऐसा कि अब मौत को भी आने में शर्म आने लगी है, लेकिन हमलावरों को शर्म है कि आती ही नहीं।
आंखे बता रही हैं कि इन स्कूली बच्चों में हमलों का खौफ कितना गहरा है, लेकिन इन सब से दूर दुनिया के दादाओं को इनकी कोई परवाह ही नहीं है।
सीरिया में हालात ये है कि अब स्कूलों से बच्चों के कोलाहल की जगह उनकी चीखे सुनाई देती हैं। जो अभिभावक पहले बच्चों की भीड़ में अपने नौनिहालों को तलाशते थे वे आजकल लाश हाल के दिनों में सीरिया के स्कूली बच्चों की तसवीरें आई है उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है।





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