बड़ी खबर: सुप्रीम कोर्ट ने छीन लिये मुस्लिमों के ये बड़े अधिकार, हिन्दुओं को दिया अबतक का ये सबसे बड़ा उपहार !
भारत में आजादी के बाद से अब तक रही कांग्रेस सरकार ने अपने वोटबैंक की राजनीति को अंजाम देने के खातिर वो हर मुमकिन काम करती आयी है जिससे मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का साथ देता रहे! मुस्लिमो को अल्पसंख्यक के नाम पर तरह तरह के सुभिदाये मुहैया कराती रही है! भारत के पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने तो यहाँ तक कह दिया था कि देश की प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिमो का है, लेकिन अब देश बदल रहा है और मोदी जी ने सबका साथ सबका विकास करने का संकल्प लिया है!
आज आजादी के 67 साल बाद हिन्दुओं को मिला उनका अधिकार! आपको बता दे जम्मू कश्मीर भारत का एक ऐसा राज्य जहाँ पकिस्तान अपने नापाक मंसूबो को अंजाम देने के लिए आतंकियों को भेजती है और वह के अलगाववादी नेताओ को उकसाते रहती है, खबरों की माने तो कश्मीर के अलगावादी नेताओ को अंदर खाने पाकिस्तान का समर्थन भी प्राप्त है! अभी तक की सरकारे जम्मू कश्मीर में शांति बनाये रखने और वहां के नागरिको की सुरक्षा के लिए हर साल केंद्र सरकार करोड़ो रूपए खर्च करती है!
जम्मू कश्मीर के अल्पसंख्यको के लिए सरकार ने अनेको सुविधाए और योजनाए चल राखी है, बता दें कि यहां जितनी भी सरकारी योजनाओं की सुविधाएं हैं वो केवल मुसलमानों के हित को देखते हुए लागु की गयी थी, अभी कुछ दिन पहले इसी सिलसिले में अंकुर शर्मा नाम के एक शख्स ने आवाज उठाई थी और हिन्दुओ के खिलाफ हो रहे इस अत्याचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए इस मामले को लेकर एक बड़ा आदेश जारी किया है!
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि केन्द्र और राज्य सरकार इस बारे में एक बैठक करें और एक रिपोर्ट तैयार करे कि राज्य में कौन बहुसंख्यक है ? और कौन अल्पसंख्यक ? इसी रिपोर्ट के आधार पर अब उन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा दिया जाएगा! याचिका में कहा गया कि पिछले 50 साल से जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों की गिनती नहीं हुई है और उस वक्त मुस्लिम अल्पसंख्यक थे!
दरअसल उसी आधार पर आज तक उन्हें तमाम सरकारी योजनाओं का फायदा मिलता आया है लेकिन इन 50 सालों में इतना परिवर्तन हुआ है कि अब वहां हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है! इसलिए सुविधाओं का बंटवारा सही तरीके से होना चाहिए! इस पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव की अगुवाई में संयुक्त कमेटी बनाई जाएगी! जो इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार करेगी कि किसे अल्पसंख्यक और किसे बहुसंख्यक माना जायेगा!
बता दें कि सरकार का मानना है कि 31 जुलाई तक कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर लेगी! इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख निश्चित की है! कहा जा रहा है कि इस रिपोर्ट से साफ हो जायेगा कि अब जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम अल्पसंख्यक नही रहे अपितु बहुसंख्यक हो गये है और ऐसा होने पर उनसे तमाम सुख-सुविधाएं छीन कर अल्पसंख्यक हो चुके हिन्दू वर्ग के लोगों को दे दी जाएँगी!
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