बंद हो शाक्ति है जिओ सिम अगर आप के पास भी है JIO की सिम तो पढे ये खबर .
जियो जब से बाजार में आया है तब से ही NEWS में बना हुआ है। कभी PLAN को लेकर तो कभी CALL DROP को लेकर। अब उसके साथ एक नया लफड़ा हो गया है। दरअसल लोगों का रिस्पॉंस देखकर जियो थोड़ा अहंकारी टाइप हो गया है। जियो अब ट्राई और या कोई और कंपनी सीधे भिड़ रहा है। कॉल ड्रॉप की समस्या जियो के साथ सबसे ज्यादा आ रही है।
बंद होंगी सर्विस
रिलायंस जियो ने सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) पर नया हमला बोलते हुए कहा कि उसके अंदर वोट के नियम बहुत अधिक पक्षपातपूर्ण और एकतरफा हैं और ये मौजूदा ऑपरेटरों भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया के निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं। अगर जियो मनमानी करेगा तो उसे बंद करने की सिफारिश की जाएगी।
अन्य कंपनियों से वाकयुद्ध में लगा जियो
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली दूरसंचार कंपनी फिलहाल इंटरनकनेक्ट के मुद्दों पर मौजूदा ऑपरेटरों के साथ कटु वाकयुद्ध में लगी है। उसने सीओएआई के नियमों में बदलाव की मांग करते हुए कहा है कि मौजूदा वोटिंग व्यवस्था में उचित, ईमानदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का अभाव है।
क्या हैं जियो के आरोप
जियो ने आरोप लगाया कि वोटिंग अधिकार दबदबे वाले ऑपरेटरों (आईडीओ) के पक्ष में झुके हुए हैं। इससे वे संघ के किसी या सभी निर्णयों पर उनका पूरा नियंत्रण है। जियो ने सीओएआई को लिखे पत्र में कहा है, हम सीओएआई के नियमनों और प्रक्रियाओं में संशोधन और बदलाव चाहते हैं। इसके लिए उच्चतम न्यायालय के तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की समिति का गठन किया जाना चाहिए।
मामले को ऐसे जानें
हाल में 4जी सेवाओं के साथ बाजार में उतरने वाली रिलायंस जियो ने सीओएआई के वोटिंग अधिकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि मौजूदा दबदबे वाले ऑपरेटरों (आईडीओ) का उसके कुल वोटों में 68 प्रतिशत का हिस्सा है। ऐसे में निर्णय प्रक्रिया पर उनका नियंत्रण है। अन्य कोर (मुख्य: सदस्यों को इसमें ‘शून्य’ कर दिया गया है। रिलायंस जियो खुद भी सीओएआई की सदस्य है।
जियो का तर्क
जियो ने कहा कि कार्यकारी परिषद में कोर सदस्यों का वोटिंग अधिकार समायोजित सकल राजस्व के आधार पर तय होता है। प्रत्येक आईडीओ के पास वोट की अधिकतम सीमा 7 है। राजस्व के हिसाब से 60.84 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी रखने वाले तीन ऑपरेटरों के सात-सात यानी कुल 21 वोट हैं। इनके अलावा चार कोर सदस्यों के कुल मिलाकर 10 वोट हैं। इस तरह वोटिंग में दबदबे वाले पुराने प्रमुख ऑपरेटरों (आईडीओ) का हिस्सा 68 प्रतिशत बैठता है।
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