भारत को 89 एंटीशिप 'हारपून' मिसाइल देगा अमेरिका
मेरिकी रक्षा विभाग ने भारत को पोत भेदी हारपून मिसाइलों की आपूर्ति करने के लिए बोइंग को आठ करोड़ 10 लाख डॉलर से अधिक की राशि का करार दिया है.
इस करार के ब्योरे के मुताबिक, विदेश सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के लिए बोइंग को 89 हारपून मिसाइलों, संबंधित कंटेनरों और उपकरणों की 22 खेप के लिए 8 करोड़ डॉलर से अधिक का करार दिया गया है.
ये मिसाइलें अमेरिका में कई स्थानों पर बनाई जाएंगी. इनमें से अधिकतर की मैन्यूफैक्चरिंग सेंट चार्ल्स, मिसूरी में होगा. मैन्यूफैक्चरिंग की कुछ प्रक्रिया ब्रिटेन में भी की जाएगी. मिसाइलों के जून 2018 में तैयार हो जाने की उम्मीद है.
इस करार के ब्योरे के मुताबिक, विदेश सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के लिए बोइंग को 89 हारपून मिसाइलों, संबंधित कंटेनरों और उपकरणों की 22 खेप के लिए 8 करोड़ डॉलर से अधिक का करार दिया गया है.
ये मिसाइलें अमेरिका में कई स्थानों पर बनाई जाएंगी. इनमें से अधिकतर की मैन्यूफैक्चरिंग सेंट चार्ल्स, मिसूरी में होगा. मैन्यूफैक्चरिंग की कुछ प्रक्रिया ब्रिटेन में भी की जाएगी. मिसाइलों के जून 2018 में तैयार हो जाने की उम्मीद है.
हारपून मिसाइल की इस खासियत से डरे चीन और पाकिस्तान
यह सभी मौसम में मार करने की क्षमता से युक्त एंटी शिप मिसाइल है।
- इसकी मारक क्षमता 280 किलोमीटर तक है।
- यह 864 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दुश्मन पर वार करती है।
- यह सतह, हवा और समुद्री सबमैरिन के जरिये मार करने में भी सक्षम है।
- इसे अमेरिका ने सोवियत संघ के खिलाफ शीत युद्ध के दौरान तैयार किया था।
- हारपून की मदद से भारत पाक और चीन को जवाब एक साथ दे सकता है।
- समुद्री सीमाओं में पाक और चीन दोनों देश को धूल चटा सकता है।
- इसकी मारक क्षमता 280 किलोमीटर तक है।
- यह 864 किमी प्रति घंटा की स्पीड से दुश्मन पर वार करती है।
- यह सतह, हवा और समुद्री सबमैरिन के जरिये मार करने में भी सक्षम है।
- इसे अमेरिका ने सोवियत संघ के खिलाफ शीत युद्ध के दौरान तैयार किया था।
- हारपून की मदद से भारत पाक और चीन को जवाब एक साथ दे सकता है।
- समुद्री सीमाओं में पाक और चीन दोनों देश को धूल चटा सकता है।
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