एक ऐसा मुसलमान जो पीएम मोदी के लिए बर्बाद तक हो गया लेकिन नहीं छोड़ा साथ
एक मुस्लिम बिजनेसमैन सारी आलोचनाओं की परवाह किए बिना लंबे समय से पीएम मोदी के साथ जुड़ा है। दोनों की यह नजदीकी गुजरात दंगों के दौर की है और आज तक कायम है। इनका नाम जफर सरेशवाला है।
2002 में हुए देंगों के बाद देश ही क्या विदेश में भी मोदी की आलोचना हो रही थी। खासकर मुसलमानों ने ज्यादा आलोचना की। लेकिन इस दौरान यह मुस्लिम चेहरा मोदी के कंधे से कंधा मिलाकर चला, और बिना किसी की परवाह किए डटा रहा।
जफर सरेशवाला एक गुजराती मुसलमान हैं और वह अहमदाबाद से हैं। वह मुस्लिमों के बोहरा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो भारत में हजारों सालों से कारोबार से जुड़ा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनका परिवार करीब 300 सालों से इस शहर में रहता आया है। मौजूदा समय में वह ट्रेवेल और फाइनेंशियल सर्विस के कारोबार से जुड़े हैं। उनकी कंपनी का नाम पारसोली कॉर्प है, जो भारत में इस्लामिक बैंकिंग की बड़ी संस्थाओं में से एक है।
सरेशवाला 2002 से पीएम मोदी के साथ हैं। गुजरात दंगों के बाद जब कई देशों ने पीएम मोदी पर कई तरह के बैन लगाए तो भी जफर देसी और विदेशी मीडिया में उनकी तरफदारी करते रहे। इसके चलते उन्हें कई बार बड़े मुस्लिम संगठनों के मंचों पर विरोध का भी सामना करना पड़ा है। जयपुर में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में उन्हें प्रवेश तक नहीं करने दिया गया।
2002 के गुजरात दंगों के दौरान दंगाईयो ने उनके घर और आफिस सबको तबाह कर दिया था। भारत में इस्लामिक बैंकिंग का सबसे बड़ा नाम मानी जाने वाली उनकी कंपनी के आफिस को आग के हवाले कर दिया गया। सारा स्टाफ ऑफिस छोड़कर भाग गया, कंप्यूटर से लेकर फर्नीचर तक कुछ नहीं बचा। जफर के अनुसार उस दंगों में उन्हें 3.5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। यही नहीं 1669, 1985 और 1992 के दंगों में भी परिवार को ऐसी ही नुकसान का सामना करना पड़ा था
जफर कहते हैं कि दंगों के बाद उनका परिवार सड़क पर आ चुका था। उनके पास दो ही चारा था। या तो वह वापस ब्रिटेन चले जाते या फिर यहीं रहकर फिर से खुद को स्टैबलिश करते। जफर ने भारत में ठहरने का फैसला किया और दंगो में खत्म हुए अपने बिजनेस को फिर से खड़ा किया। साथ ही जिस शख्स को दंगों का सबसे बड़ा आरोपी बताया गया उसी के नजदीकी बन गए।
2002 के दंगों में वह ब्रिटेन में एक मेकैनिकल इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। भारत में उनके दो छोटे भाई परिवार का इस्लामिक बैंकिंग का काम देखते थे। दंगों में परिवार का जब सबकुछ बर्बाद हुआ तो मोदी के विरोधी हो गए। वह उस संगठन से जुड़ गए जो मोदी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा दायर करने जा रहा था।
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